लेखनी प्रतियोगिता -07-Mar-2023 नारी को भी सुकून चाहिए
विषय-सुकून
छोड़ दो मुझे अकेला,
सुकून से है मुझको जीना,
बहुत हुआ तुम्हारा पहरा।
मैं नारी हूं पर चाहती हूं हक,
सुकून के जीना चाहती दो पल,
हो मेरे भी आजादी के पंख।
जो आता अपनी बात सुनाता,
तुम लड़की हो कहकर चला जाता,
सुकून से एक पल रहने ना देता।
लड़की हूं रोबोट नहीं,
जो चाहे जैसे हमको कहे,
सुकून के पल हम ना बोले।
क्यों नहीं होता सुकून,
जीना होता कुटकुट कर,
आजाद होकर भी मरती हर पल।
क्यों न मिलती सुकून की घड़ी,
हमेशा जंजीरों में रहती बंधी,
कभी मर्यादा तो कभी संस्कृति।
सबकी नजरें हम पर गड़ी
हर पल सुनाता हमको खरी,
क्यों नहीं देता सुकून की जिंदगी।
कहती आज नारी,
बहुत दी है बलिदानी,
अब चाहिए हमें जिंदगानी।
लेखिका
प्रियंका भूतड़ा प्रिया
अदिति झा
09-Mar-2023 06:37 PM
Nice 👌
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Renu
08-Mar-2023 10:00 PM
👍👍🌺
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Punam verma
08-Mar-2023 09:11 AM
Very nice
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